आपका दोने-पत्तल का एक कदम आपका “स्वास्थ्य और पर्यावरण” को सही रख सकता है
एक बहुत छोटी सी बात है पर हमने उसे विस्मृत कर दिया ! हमारी भोजन संस्कृति ! इस भोजन संस्कृति में बैठकर खाना और उस भोजन को “दोने-पत्तल” पर परोसने का बड़ा महत्व था ! कोई भी मांगलिक कार्य हो उस समय भोजन
हिंदू साम्राज्य आत्मबल जगाओ🚩
आज समय की मांग है कि लोगों के बीच भाईचारे का रिश्ता हो और वैसा ही व्यवहार हो। लेकिन इसे कैसे हासिल किया जा सकता है? उस आदर्श जीवन का अनुभव कैसे करें? इसकी सुरक्षा कैसे करें? ये सब हमें सोचना होगा। केवल
हमारे निहित कर्तव्य
समाज की एकता एवं अखण्डता को सुदृढ़ करना हमारा स्वाभाविक एवं जन्मजात कर्तव्य है जो हमें जन्म के साथ प्राप्त हुआ है। यह हमारा आंतरिक दायित्व है और हमें उसमें असफल नहीं होना चाहिए जो हमारा स्वाभाविक कार्य है, भले ही हमें लगे
हमारी मातृभूमि की सीमाएँ
न केवल हिमालय के दक्षिण में स्थित भूमि हमारी है, बल्कि हिमालय की सभी श्रृंखलाएँ और उपश्रेणियाँ भी हमारी हैं जो उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम दिशाओं में फैली हुई हैं और उनके बीच का भूमि क्षेत्र भी बहुत समय से हमारा है। अगर हम