
विद्युत क्षेत्र को कोयला आवंटन हेतु शक्ति नीति
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 07.05.2025 को आयोजित बैठक में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने विद्युत क्षेत्र को कोयला आवंटन के लिए संशोधित शक्ति (भारत में कोयला का पारदर्शी दोहन और आवंटन करने की योजना) नीति को अपनी मंजूरी दे दी है। संशोधित शक्ति नीति सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों की श्रृंखला में एक और कदम है।
2017 में शक्ति नीति की शुरुआत के साथ ही कोयला आवंटन तंत्र में नामांकन आधारित व्यवस्था से नीलामी/टैरिफ आधारित बोली के माध्यम से कोयला लिंकेज के आवंटन के अधिक पारदर्शी तरीके में आमूलचूल परिवर्तन हुआ। अब कोयला लिंकेज के लिए शक्ति नीति के कई अनुच्छेदों को संशोधित शक्ति नीति में केवल दो विंडो में मैप किया गया है, जो व्यापार करने में आसानी, प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित करने, दक्षता, क्षमता के बेहतर उपयोग, निर्बाध पिट हेड थर्मल क्षमता वृद्धि और देश को सस्ती बिजली की भावना के साथ संरेखित है।
नवीन विशेषताओं के साथ वर्तमान संशोधन शक्ति नीति के दायरे और प्रभाव को और बढ़ाएगा तथा बिजली क्षेत्र को अधिक लचीलापन, व्यापक पात्रता और कोयले तक बेहतर पहुंच के माध्यम से सहायता प्रदान करेगा। नई नीति सभी बिजली उत्पादकों को कोयला लिंकेज सुनिश्चित करेगी, जिससे अधिक बिजली उत्पादन, सस्ती दरें और अर्थव्यवस्था पर समग्र सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जिससे रोजगार सृजन क्षमता में वृद्धि होगी। विभिन्न क्षेत्रों को विश्वसनीय और सस्ती बिजली आपूर्ति आर्थिक गतिविधियों को उत्प्रेरित करेगी और आत्मनिर्भर भारत पहल का समर्थन करेगी। सरलीकृत तरीके से घरेलू कोयले की बढ़ी हुई उपलब्धता से शेष संकटग्रस्त बिजली परिसंपत्तियों के पुनरुद्धार में भी मदद मिलेगी। लिंकेज कोयले का उपयोग अब बिजली बाजारों में बिक्री के लिए अन-रिक्वायर्ड सरप्लस (यूआरएस) क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए किया जा सकता है, जो न केवल बिजली एक्सचेंजों में बिजली की उपलब्धता बढ़ाकर बिजली बाजारों को गहरा करेगा बल्कि उत्पादन स्टेशनों का इष्टतम उपयोग भी सुनिश्चित करेगा। इसके अलावा, बिजली क्षेत्र को दिए जाने वाले नए लिंकेज से बिजली क्षेत्र के लिए कोयले की उपलब्धता बढ़ेगी और कोयला युक्त क्षेत्रों में खनन गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकारों को अधिक राजस्व प्राप्त होगा, जिसका उपयोग इन क्षेत्रों और स्थानीय आबादी के विकास के लिए किया जा सकता है। नीति पिट हेड थर्मल क्षमता वृद्धि को प्रोत्साहित करेगी और आयातित कोयला आधारित (आईसीबी) संयंत्रों में आयातित कोयले के प्रतिस्थापन की सुविधा प्रदान करेगी, जो घरेलू कोयला प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उनकी आयातित कोयले पर निर्भरता कम हो जाएगी। संशोधित शक्ति नीति के प्रावधान निम्नलिखित हैं। केंद्रीय क्षेत्र/राज्य क्षेत्र/स्वतंत्र विद्युत उत्पादकों (आईपीपी) के ताप विद्युत संयंत्रों को नए कोयला लिंकेज प्रदान करने के लिए, संशोधित शक्ति नीति के तहत निम्नलिखित दो विंडो को मंजूरी दी गई है:
केंद्रीय विद्युत उत्पादन कंपनियों/राज्यों को अधिसूचित मूल्य पर कोयला लिंकेज: विंडो-I
सभी विद्युत उत्पादन कंपनियों को अधिसूचित मूल्य से अधिक प्रीमियम पर कोयला लिंकेज: विंडो-II
विंडो-I (अधिसूचित मूल्य पर कोयला):
संयुक्त उपक्रमों (जेवी) और उनकी सहायक कंपनियों सहित केंद्रीय क्षेत्र की ताप विद्युत परियोजनाओं (टीपीपी) को कोयला लिंकेज प्रदान करने की मौजूदा व्यवस्था जारी रहेगी।
विद्युत मंत्रालय की सिफारिश पर मौजूदा व्यवस्था के अनुसार राज्यों और राज्यों के समूह द्वारा अधिकृत एजेंसी को कोयला लिंकेज निर्धारित किए जाएंगे। राज्यों को निर्धारित कोयला लिंकेज का उपयोग राज्य अपने स्वयं के जेनको, टीबीसीबी के माध्यम से पहचाने जाने वाले आईपीपी या विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 62 के तहत पीपीए वाले मौजूदा आईपीपी द्वारा धारा 62 के तहत पीपीए वाली नई विस्तार इकाई की स्थापना के लिए कर सकते हैं। विंडो-II (अधिसूचित मूल्य से अधिक प्रीमियम): कोई भी घरेलू कोयला आधारित बिजली उत्पादक जिसके पास पीपीए है या अनटाइड और आयातित कोयला आधारित बिजली संयंत्र (यदि उन्हें इसकी आवश्यकता है) अधिसूचित मूल्य से अधिक प्रीमियम का भुगतान करके 12 महीने तक की अवधि के लिए या 12 महीने से अधिक की अवधि से लेकर 25 वर्ष तक की अवधि के लिए नीलामी के आधार पर कोयला प्राप्त कर सकता है और बिजली संयंत्रों को अपनी पसंद के अनुसार बिजली बेचने की लचीलापन प्रदान कर सकता है। संशोधित शक्ति नीति घरेलू कोयला उपयोग को अधिकतम करेगी, निर्बाध तापीय क्षमता वृद्धि सुनिश्चित करेगी, वैश्विक बाजारों पर कोयले की निर्भरता को कम करेगी, सभी के लिए ऊर्जा सुरक्षा के लिए सरकार के प्रयास के साथ देश की ऊर्जा स्वतंत्रता को मजबूत करेगी।