15°C New Delhi
October 25, 2025
संयुक्त राष्ट्र संघ का विश्व बंधुत्व, शांति, सद्भावना का मूल सिद्धांत श्रीमदभगवदगीता में विद्यमान है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र
खास ख़बरें देश

संयुक्त राष्ट्र संघ का विश्व बंधुत्व, शांति, सद्भावना का मूल सिद्धांत श्रीमदभगवदगीता में विद्यमान है – डा. श्रीप्रकाश मिश्र

Oct 24, 2025

संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांत में व्याप्त वसुधैव कुटुंबकम का विचार श्रीमदभगवदगीता के मूल सिद्धांत एवं उसमें निहित शांति की अवधारणा की संकल्पना से जुड़े है। संयुक्त राष्ट्र संघ का विश्व बंधुत्व, शांति, सद्भावना का मूल सिद्धांत श्रीमदभगवदगीता में विद्यमान है। संयुक्त राष्ट्र संघ के लक्ष्य, जैसे शांति और सुरक्षा, मानवाधिकारों की सुरक्षा और वैश्विक सहयोग गीता के प्राचीन विचार से ही प्रेरित हैं। यह विचार संयुक्त राष्ट्र संघ के स्थापना दिवस एवं मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपिता एवं प्रथम प्रधानमंत्री डा. सर शिव सागर रामगुलाम की 125 वीं जयंती के उपलक्ष्य में संयुक्त राष्ट्र संघ की संकल्पना में श्रीमदभग्वदगीता का संदेश विषय पर मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा आयोजित  अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी में मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपिता एवं प्रथम प्रधानमंत्री डा. शिव सागर रामगुलाम  के पूर्व निजी सचिव सुरेश रामबर्न, श्री श्री 1008 स्वामी विप्रदास जी महाराज एवं मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपिता एवं प्रथम प्रधानमंत्री डा. शिव सागर रामगुलाम  के पूर्व निजी सचिव सुरेश रामबर्न ने कहा सम्पूर्ण मॉरीशस में भारत एवं भारतीयता विद्यमान है। मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपिता एवं प्रथम प्रधानमंत्री डा. सर शिव सागर रामगुलाम का जीवन श्रीमदभगवदगीता के निष्काम कर्मयोग से प्रेरित था। वह भारत से अथाह प्रेम करते थे। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम उनके आदर्श थे। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन मॉरीशस के विकास  के लिए अर्पित किया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने उन्हे सर्वोच्च विशेष सम्मान प्रदान किया था। शिव सागर रामगुलाम वास्तविक रूप से मॉरीशस में  सनातन वैदिक जीवन मूल्यों के सजग प्रहरी थे।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा संयुक्त राष्ट्र संघ के सिद्धांतों और श्रीमद्भगवदगीता में अद्भुत समानताएँ हैं। शांतिपूर्ण सह अस्तित्व, न्याय, सार्वभौमिक समानता और सभी के लिए समान अधिकार  संयुक्त राष्ट्र संघ के चार्टर में उल्लिखित है। गीता इन सिद्धांतों को नैतिक, दार्शनिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से संबोधित करती है, जिसमें निष्काम कर्म, करुणा, आत्म-नियंत्रण, और भौतिक तथा आध्यात्मिक कल्याण के बीच संतुलन स्थापित करने पर जोर दिया गया है। आज वैश्विक परिप्रेक्ष्य में श्रीमदभगवद गीता एक अजेय ग्रंथ है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी श्री श्री 1008 विप्रदास महाराज ने कहा श्रीमदभगवद्गीता का मुख्य संदेश निःस्वार्थ कर्म, कर्तव्य पालन, और आंतरिक शांति प्राप्त करना है।  स्वामी जी ने कहा मातृभूमि सेवा मिशन की निःस्वार्थ भाव से लोकसेवा मानवता की महान सेवा है। इस अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों नर शांति, प्रेम एवं सद्भावना से प्रेरित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में आचार्य सतीश कौशिक जी ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन राष्ट्र प्रेम मंच के अध्यक्ष विजय सैनी ने किया। कार्यक्रम में एडवोकेट डा. तारा चंद शर्मा, सुभाष चौहान, सुरेंद्र सिंह, मास्टर बाबूराम, मलखान सिंह, गुलशन सैनी, रंजीत सहित अनेक सामाजिक, धार्मिक संस्थाओ के प्रतिनिधि सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Solverwp- WordPress Theme and Plugin