
पंच परिवर्तन’ के संकल्प पर दिया जोर, हर घर तक पहुंचाने का लक्ष्य प्रान्त संघचालक प्रताप सिंह
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) द्वारा गुरुग्राम महानगर के विभिन्न स्थानों पर भव्य पथ संचलन का आयोजन किया गया। संघ की परंपरा के अनुरूप यह कार्यक्रम अनुशासन, संगठन और राष्ट्रभक्ति की सशक्त प्रेरणा देता है। इस अवसर पर स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में अनुशासित पंक्तियों के साथ नगर के प्रमुख मार्गों से होकर गुजरे। नगरवासीयों ने इस पथ संचलन को देखकर न केवल संगठन की शक्ति का अनुभव किया, बल्कि समाज में एकता और सद्भाव का सशक्त संदेश आत्मसात करते दिखाई दिए। यही वजह रही कि पथ संचलन के मार्ग में खड़े लोगो ने स्वयंसेवकों पर न केवल पुष्प वर्ष की बल्कि भारत माता,वन्देमातरम के जय घोष से उनका आ अभिनंदन किया।
इस अवसर पर गुरुग्राम में 17 कार्यक्रम हुए उनमे से २ में डॉ सुरेंद्र जैन संयुक्त महासचिव विश्व हिंदू परिषद , हरियाणा प्रान्त संघचालक श्री प्रताप सिंह की विशेष उपस्थिति रही। पथ संचलन के मार्ग में शहरवासियों के लिए आकर्षण का केंद्र स्वयंसेवकों की दृढ़ चाल, अनुशासनबद्ध कदम और राष्ट्रगीतों की धुन थी। कार्यक्रम की भव्यता में और वृद्धि इस तथ्य से हुई कि इसमें विभिन्न आयु वर्ग के स्वयंसेवकों ने एक साथ एक स्वर और कदम ताल मिलाकर भाग लिया और राष्ट्रहित के प्रति अपने संकल्प को प्रकट किया।
इस विशेष अवसर पर संघ द्वारा आयोजित उत्सव सभा भी रखी गई जिनमें संघ शताब्दी वर्ष की महत्वता, सरसंघचालक मोहन भागवत ने दिए पंच परिवर्तन के विषयों को प्रमुखता से रखा गया। उन्होंने संघ की विचारधारा, राष्ट्र निर्माण में स्वयंसेवकों की भूमिका तथा समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने की आवश्यकता पर अपने विचार व्यक्त किये। समरसता, शिक्षा और संस्कृति के माध्यम से राष्ट्र को सशक्त बनाने के मुद्दों पर प्रकाश डाला।इन आयोजनों में सम्मलित समाज के लोगों को संघ की गतिविधियों और गुरुग्राम जिले में चल रहे सेवा कार्यों के विषय में संक्षिप्त विवरण दिया तथा समाज के सभी वर्गों से सक्रिय सहयोग का आह्वान किया।
पथ संचलन का उद्देश्य केवल एक अनुशासनबद्ध प्रदर्शन नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत संदेश है कि संगठित समाज ही मजबूत राष्ट्र की नींव रख सकता है। आज के दौर में जब समाज अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है, तब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह आयोजन हमें एकजुट रहने और अपनी परंपराओं, संस्कृति तथा मूल्यों के संरक्षण की प्रेरणा देता है। इस अवसर पर स्वयंसेवकों ने देशभक्ति गीतों के माध्यम से वातावरण को देशभक्ति की भावना से ओत-प्रोत किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विगत कई दशकों से समाज जीवन के विविध क्षेत्रों में सेवा, संस्कार और संगठन का कार्य कर रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्राम विकास, पर्यावरण संरक्षण और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में संघ के स्वयंसेवक सदैव सक्रिय रहते हैं। गुरुग्राम में आयोजित यह पथ संचलन संघ की इन्हीं सेवाभावी गतिविधियों का प्रतीक है और संघ का यह स्थापना दिवस नगरवासियों को यह विश्वास दिलाता हुआ दिखाई दिया कि एक संगठित समाज ही चुनौतियों का सामना कर सकता है और आत्मनिर्भर राष्ट्र के निर्माण में योगदान दे सकता है।
नगरवासियों ने इस पथ संचलन के मार्गों पर उपस्थित होकर पुष्प वर्षा से स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन किया। समाज के विभिन्न वर्गों की सहभागिता से यह आयोजन और अधिक प्रभावशाली रहा। यह अवसर न केवल देखने योग्य था, बल्कि इसमें निहित संदेश को जीवन में उतारना भी प्रत्येक नागरिक का दायित्व है।
शास्त्र सम्मत शस्त्रों का उपयोग ही शक्ति की आराधना है- डॉ सुरेंद्र जैन हिन्दू समाज में अच्छा करना, और बुराई को रोकना और बुराई को अच्छे की तरफ मोड़ना शक्ति का प्रतिपादन रहा है। यह सन्देश ले कर आज से 100 साल पहले राष्ट्रीय सेवक संघ की स्थापना 1925 विजयादशमी के दिन हुई थी। संघ ने उसी दिन लक्ष्य दिया था की अपने समाज में सज्जन शक्ति का निर्माण करना है।
शक्ति वो है जो अच्छा कर सके। अच्छा काम करने की ताकत रखना शक्ति होती है। शक्ति केवल अच्छा कार्य करना ही नहीं बल्कि बुरा रोक सके इसे भी शक्ति कहते है।
आज के दिन हम सब शस्त्रों और शास्त्र की पूजा करते है । शास्त्र सम्मत शस्त्र उपयोग ही शक्ति की सच्ची उपासना है। और इसी शक्ति के आधार पर संघ उत्तरोत्तर लगातार आगे बढ़ रहा है और संघ तब तक लगातार कार्यकर्ता रहेगा जब तक संघ और समाज एक रूप ना हो जाए।
डॉ सुरेंद्र जैन ने कहा कि समाज की चिंता करने के लिए पहले से ही कार्य होते रहे हैं जिस तरीके से अर्जुन समाज की रक्षा के लिए अपने अज्ञातवास को भी भूलकर समाज की रक्षा के लिए आगे आ गए थे उसी तरीके से कई ऐसे कार्य हैं जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से किए जाते हैं जो समाज के हित में होते हैं l
अनुशासन से ही होती है संघ की पहचान डॉ अर्पित जैन संघ शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम में मोहन उपनगर के केशव नगर में डॉ अर्पित जैन ने कहा कि समाज जीवन को अच्छे से जीने के लिए अनुशासन का होना बहुत ज्यादा जरूरी है और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सभी स्वयंसेवकों में अनुशासनसहजता से आ जाता है और यही अनुशासन भविष्य में बहुत अच्छी ऊंचाइयों को छूने में मदद करता है l
पंच परिवर्तन’ के संकल्प पर दिया जोर, हर घर तक पहुंचाने का लक्ष्य आरएसएस प्रान्त संघचालक प्रताप सिंह
संघ के शताब्दी वर्ष समारोह का प्रारंभ हो रहा है ,उन्होंने संघ के निर्माण के पीछे का हेतु और पिछले सौ वर्षों से संघ का देश और समाज के प्रति योगदान का उल्लेख करते हुए कहा की जिस तरह भगवान श्रीराम के जीवन से हम उनके समाज के हर अंग को साथ लेकर चलने व समरसता कायम करने के उनके प्रयासों से प्रेरित होते हैं, उसी तरह आज संघ के स्वयंसेवक समाज में सामाजिक समरसता व समाज परिवर्तन का काम कर रहे हैं । हमें इसे निरंतर आगे बढ़ाना होगा । समरसता से ही समाज में दिख रही दूरियां मिट जायेगी। समाज संगठित और सशक्त बनेगा। एक सशक्त समाज ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण कर सकता है।
संघ के स्वयंसेवकों यह काम निरंतर करते रहना होगा ।
समाज की निरन्तर सेवा की पाठशाला है आरएसएस – बिग्रेडियर सतीश
कार्यक्रम में शस्त्र पूजन के बाद उद्बोधन में ब्रिगेडियर सतीश जी ने कहा कि विजयादशमी समाज मे सज्जन शक्ति की उपासना का पर्व है और यह हमें समाज में अच्छा कार्य करने की प्रेरणा देता है।