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भारत की महान कुटुंब परम्पराएं ही दुनियां को आनंद की अनुभूति करा सकती है-नंद लाल जोशी
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भारत की महान कुटुंब परम्पराएं ही दुनियां को आनंद की अनुभूति करा सकती है-नंद लाल जोशी

Mar 8, 2024

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक नंद लाल जोशी का कहना है कि भारतीय कुटुंब परम्परा दुनियां की श्रेष्ट परम्परा है।वसुधैव कुटुम्बकम् की अवधारणा के आधार पर ही भारत विश्वगुरु रहा है। उनके अनुसार दुनियां एक बार फिर भारत की श्रेस्ट परम्पराओं को आत्मसात कर रही है। श्री नंद लाल मंगलवार को देर सांय गुरुग्राम सेक्टर 9A के सिद्धेश्वर स्कूल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुटुंब प्रबोधन गतिविधि के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम भजन संध्या एक शाम परिवार के नाम में मुख्यवक्ता के रूप में बोल रहे थे। इसमें लगभग 200 परिवारों शामिल हुए।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री नंदलाल कार्यक्रम में श्री पवन जिंदल जी आरएसएस प्रांत संघ संचालक, प्रांत प्रचारक श्री विजय कुमार का विशेष स्थानिध प्राप्त हुआ।
श्री रामावतार गर्ग जी अध्यक्ष सिद्धेश्वर ग्रुप का स्कूल , ओम प्रकाश जी कथूरिया अध्यक्ष ओम स्वीट्स प्राइवेट लिमिटेड), श्रीमती डॉ मधु अरोड़ा जी प्रचार प्राचार्य राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेक्टर 9a गुरुग्राम, श्रीमती रमन उप्पल जी (समाज सेविका) आप सभी का विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्तिथ थे।

कार्यक्रम में बाबा नंद लाल जी के द्वारा भारतीय परंपराओं के महत्व पर प्रकाश डाला गया और आज के समय में उनकी आवश्यकताओं पर उन्हें अपनाने पर बल दिया। नंदलाल बाबा जी ने कहा कि हमारी भारतीय सनातन कुटुंब व्यवस्था को पूरा विश्व समझ रहा है। भजन संध्या में बाबा द्वारा गाए गए सुंदर भजनों ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। देर सांय तक प्रेरक भजनों की लय पर लोग थिरकते रहे।

उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा की ग्रामीण क्षेत्रों में कम पढ़े-लिखे परिवार के बूढ़े मां-बाप आपको वृद्धा आश्रम में नहीं मिलेंगे लेकिन सबसे ज्यादा संख्या शहर में पढ़े-लिखे समझदार लोगों की है। जिनके मां-बाप आपको वृद्ध आश्रम में मिलेंगे।
ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू से ही काका काकी ताई चाचा आदि उद्बोधनों के माध्यम से रिश्तों की अहमियत समझी जाती थी। सामाजिक ताने-बाने को मजबूत किया जाता था। बच्चे शुरू से ही परिवार में रहकर पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को समझते थे ।परंतु हमने पाश्चात्य परम्परा की दौड़ में भारत की परम्पराओं को बिसरा दिया था।
शहरीकरण और शायद ज्यादा पढ़ा लिखा होना हम सबको अपने तक सीमित रहने की ओर ले गाया। हम सिर्फ अब अपनी चिंता करते हैं । बहुत ज्यादा तो सिर्फ अपने बच्चों की। मां-बाप को तो शायद हम इस शहरी व्यवस्था में भूलने से लगे हैं। लेकिन अब भारत की सनातन मान्यताओं का पुनः जागरण हो रहा है। दुनियां अब समझने लगी कि श्रेष्ट भारतीय परम्पराओं को आत्मसात करके आनंद की जिंदगी को जीया जा सकता है।
उन्होंने कहा भारतीय संस्कृति और इतिहास में भारत कभी भी ज्ञान विज्ञान से दूर नहीं रहा। परंतु 200 साल से ज्यादा की गुलामी के कारण हम अपने गर्व को खोते जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कावेरी नदी पर बना हुआ बांध 2000 साल पुराना है। क्या 2000 साल पहले कोई इंजीनियरिंग कॉलेज था ? यह हमारी भारतीय सनातन शिक्षा परंपरा और विज्ञान का कमाल था कि आज तक वह बांध अपनी जगह ज्यों का त्यों खड़ा है। क्योंकि वह हमारे सनातन ज्ञान विज्ञान के दम पर खड़ा है। इस कार्यक्रम में लगभग 200 परिवारों में अपनी उपस्थित गुरुग्राम के विभिन्न क्षेत्रों से दी।
कार्यक्रम में शिवदत्त वशिष्ठ जी विभाग संयोजक ने मंच संचालन किया। प्रान्त संयोजक ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। लोकेश कुमार महानगर संयोजक जगदीश ग्रोवर महानगर संघचालक संजय कुमार जिला संयोजक, राजबहादुर जिला संयोजक मानेसर, शिक्षाविद अशोक दिवाकर जी,हरीश जी प्रान्त सह सेवा प्रमुख , विभाग संघचालक सुनील जिंदल, कार्यवाह ब्रजेश चौहान , विभाग प्रचार प्रमुख अनिल कश्यप मौजूद रहे।

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